எனக்கு
மின்னஞ்சலில் ஒரு தோழர் கீழே உள்ள படங்களையும் ஹிந்தியில் உள்ளதையும் அனுப்பி
பீமனின் மகன் கடோத்கஜனின் எலும்புக்கூடு
என்று சொல்கிறார்கள். அப்படியா என்று கேட்டிருந்தார். நமக்கு மட்டும்
ஹிந்தி தெரியுமா என்ன? மத்திய அரசின் ஹிந்தித் திணிப்புக் கொள்கையால் ஏற்பட்ட
வெறுப்பால் ஹிந்தி மொழியை கற்றுக் கொள்ளவேயில்லையே....
எங்கள்
அலுவலகத்தில் ஹிந்தி தெரிந்த தோழரும் எங்கள் சங்கம் பொறுப்பேற்று நடத்துகின்ற
டாக்டர் அம்பேத்கர் கல்வி மற்றும் வேலை வாய்ப்பு பயிற்சி மையத்தில் பொது அறிவு
பாடம் நடத்துபவருமான தோழர் அத்தாவூர் ரஹ்மானுக்கு அந்த மின்னஞ்சலை அனுப்பி
அர்த்தம் கேட்டேன்.
அவரும்
இணையத்தில் ஆர்வமாக தேடி இது எவ்வளவு பெரிய மோசடி வேலை என்பதை விளக்கினார்.
இந்த
படங்களோடு ஹிந்தியில் வந்த செய்தியில் சொல்லப்பட்ட விபரம் என்னவென்றால்
“உடலோடு
ஒட்டிப் பிறந்த கவச குண்டலத்தைக் தானமாகக் கொடுத்ததால் இந்திரனிடமிருந்து பெற்ற
சக்தி ஆயுதம் கொண்டு கர்ணனால் மகாபாரத யுத்தத்தில் கொல்லப்பட்ட பீமன் மகன் கடோத்கஜனின் எலும்புக் கூடு வட
இந்தியாவில் கண்டு பிடிக்கப்பட்டதாம். அதை வெளியில் சொன்னால் இந்துத்துவ
சக்திகளின் வலிமை அதிகமாகி விடும் என்பதால் காங்கிரஸ் கட்சி அதை மறைத்து விட்டது.
நேஷனல் ஜியாக்ரபிக் தொலைக்காட்சிக்கு மட்டும் படமெடுக்க அனுமதி கொடுத்து ரகசியமாக
ஆராய்ச்சி நடத்தி வருகிறது.”
இதுதான் அந்த
படங்களை வைத்து சொல்லப்பட்டுள்ள கதை.
ஆனால் உண்மை
என்னவோ வேறு.
இந்த படங்கள்
ஏற்கனவே இணைய தளத்தில் உலா வருகிற படங்கள்தானாம். பைபிள் அத்தியாயம் 6-4 எண் 13:32-32 ல்
வருகிற நெபிலிம் என்ற ஆஜானுபாகுவான மனிதர்களின் எலும்புக்கூடுகள் என்று இணையத்தில்
உலா வந்த கதைகளை மாற்றி கடோத்கஜனின் எலும்புக்கூடு என்று ரீமேக் செய்து ரிலீஸ்
செய்து விட்டார்கள்.
இதில் இன்னும்
ஒரு சுவாரஸ்யம் என்ன என்னவென்றால் நெபிலிம் மனிதர்களின் எலும்புக் கூடு என்று உலா
வந்த செய்தியே ஒரு டுபாக்கூர் கதை. அவர்கள் வாழ்ந்ததாக சொல்லப்படுகிற லெபனான்
பகுதியில் அப்படி எலும்புக்கூடுகள் எதுவும் கண்டுபிடிக்கப்படவில்லை. அது
அமெரிக்காவில் எடுக்கப்பட்ட படங்கள்.
அப்படியானால்
அமெரிக்காவில் இது போன்ற பிரம்மாண்டமான எலும்புக்கூடுகள் கிடைத்ததா?
இல்லை.
செயற்கையாக
பிரம்மாண்ட எலும்புக் கூட்டினை தயாரித்து மோசடி செய்ய நினைத்த சிலரின் சித்து
விளையாட்டு அது.
தொடர் விளைவு
போல இது தொடர் மோசடி. ஆனால் இந்தியாவில் செய்யப்பட்டுள்ள மோசடி கொஞ்சம் ஆபத்தானது.
ஏனென்றால் இது மத உணர்வுகளை தூண்டி அரசியல் ஆதாயம் அடைவதற்காக செய்யப் பட்டுள்ள
மோசடி. இதில் நாம் கொஞ்சம் கவனமாக இருந்திட வேண்டும்.
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********महाभारत काल का एक और रहस्य आया सामने***********
**भारत सरकार ने न सिर्फ तथ्यों को दबाया, वेदेशियो को बेच भी दिया**
*****भारत सरकार छिपा रही भारत के गौरवशाली इतिहास को******
आज से 5000 वर्ष पूर्व
घतोत्कक्ष भीम पुत्र था व महाभारत के सबसे बलशाली योद्धाओ में से एक था ... ये आकार में बड़ा था व इसकी genetic संरचना मानवो से श्रेष्ठ थी चूंकी ये भीम की पत्नी हिडिंबा से उत्पन्न हुआ था
इसे ब्रहम्मा जी द्वारा उत्पन्न भी कहा जाता है..क्यूंकि इसकी प्रथक genetic संरचना के कारण इसका आकार मानवो से बड़ा था .. व बलवान भी था
आज 21वीं सड़ी में
कुछ समय पूर्व
उत्तर भारत में मिला एक कंकाल खुदाई के दौरान सरकार को मिला, जब इसके आकार को नापा गया तो ठीक महाभारत ग्रंथो में मिले घतोत्कक्ष के आकार से ये मेल खा गया
आनन फानन में सरकार ने इसको बहाना लेकर सेना के सुपुर्द कर दिया ...क्यूँकी जहां ये कंकाल मिला वो इलाका सेना के area में आता है ..पर आशचर्य तब हुआ जब यहाँ national geographic की टीम को आने दिया गया व अन्य किसी भारतीय को वहां जाने पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी गयी!!
कांग्रेस सरकार आज़ादी के बाद से ही देश के विभिन्न हिस्सों में खुदाई में पाए जाने वाले बहुमूल्य रत्नों को या तो देश के बाहर भिजवा देती है जहां उन पर रिसर्च की जाती है या विदेशियों को उन्हें बेच देती है
कांग्रेस को डर है की है कि हिन्दुओ की गौरवशाली गाथा यदि भारत में साक्ष्यो के साथ साबित हो गयी तो हिन्दू धर्म को बल मिल सकता है ...
हाल ही में सरकार ने भारत में मिले डाईनोसोर के अंडे भी रातो रात बेच दिए... इसके अलावा थोरियम भारत के तटो से गायब होना शुरू हो गया है जो कि राम सेतु के कारण संरक्षित था, जिसकी कीमत 50 लाख करोड़ रूपए से अधिक आंकी गयी है !!
मित्रो सरकार की इस चोरी को सामने लाने में योगदान दें ... व जन जन तक इस काली करतूत को सामने लाने में मदद करे !!
सम्बंधित लिंक -
http://padmasrinivas.blogspot.in/2007/05/bhimas-son-gadotkach-like-skeleton.html
http://gauravharidwar.blogspot.in/2013/11/blog-post_2371.html
http://is.gd/Nqqk9g
http://is.gd/7IJ4p
**भारत सरकार ने न सिर्फ तथ्यों को दबाया, वेदेशियो को बेच भी दिया**
*****भारत सरकार छिपा रही भारत के गौरवशाली इतिहास को******
आज से 5000 वर्ष पूर्व
घतोत्कक्ष भीम पुत्र था व महाभारत के सबसे बलशाली योद्धाओ में से एक था ... ये आकार में बड़ा था व इसकी genetic संरचना मानवो से श्रेष्ठ थी चूंकी ये भीम की पत्नी हिडिंबा से उत्पन्न हुआ था
इसे ब्रहम्मा जी द्वारा उत्पन्न भी कहा जाता है..क्यूंकि इसकी प्रथक genetic संरचना के कारण इसका आकार मानवो से बड़ा था .. व बलवान भी था
आज 21वीं सड़ी में
कुछ समय पूर्व
उत्तर भारत में मिला एक कंकाल खुदाई के दौरान सरकार को मिला, जब इसके आकार को नापा गया तो ठीक महाभारत ग्रंथो में मिले घतोत्कक्ष के आकार से ये मेल खा गया
आनन फानन में सरकार ने इसको बहाना लेकर सेना के सुपुर्द कर दिया ...क्यूँकी जहां ये कंकाल मिला वो इलाका सेना के area में आता है ..पर आशचर्य तब हुआ जब यहाँ national geographic की टीम को आने दिया गया व अन्य किसी भारतीय को वहां जाने पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी गयी!!
कांग्रेस सरकार आज़ादी के बाद से ही देश के विभिन्न हिस्सों में खुदाई में पाए जाने वाले बहुमूल्य रत्नों को या तो देश के बाहर भिजवा देती है जहां उन पर रिसर्च की जाती है या विदेशियों को उन्हें बेच देती है
कांग्रेस को डर है की है कि हिन्दुओ की गौरवशाली गाथा यदि भारत में साक्ष्यो के साथ साबित हो गयी तो हिन्दू धर्म को बल मिल सकता है ...
हाल ही में सरकार ने भारत में मिले डाईनोसोर के अंडे भी रातो रात बेच दिए... इसके अलावा थोरियम भारत के तटो से गायब होना शुरू हो गया है जो कि राम सेतु के कारण संरक्षित था, जिसकी कीमत 50 लाख करोड़ रूपए से अधिक आंकी गयी है !!
मित्रो सरकार की इस चोरी को सामने लाने में योगदान दें ... व जन जन तक इस काली करतूत को सामने लाने में मदद करे !!
सम्बंधित लिंक -
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Karna,
one of the Kauravas, slays the Pandavas' nephew Ghatotkacha with a weapon given
to him by Indra, the king of the gods, from a manuscript of the Razmnama
लाक्षागृह के दहन के पश्चात सुरंग के रास्ते लाक्षागृह से निकल कर पाण्डव अपनी माता के साथ वन के अन्दर चले गये। कई कोस चलने के कारण भीमसेन को छोड़ कर शेष लोग थकान से बेहाल हो गये और एक वट वृक्ष के नीचे लेट गये। माता कुन्ती प्यास से व्याकुल थीं इसलिये भीमसेन किसी जलाशय या सरोवर की खोज में चले गये। एक जलाशय दृष्टिगत होने पर उन्होंने पहले स्वयं जल पिया और माता तथा भाइयों को जल पिलाने के लिये लौट कर उनके पास आये। वे सभी थकान के कारण गहरी निद्रा में निमग्न हो चुके थे अतः भीम वहाँ पर पहरा देने लगे।
उस वन में हिडिंब नाम का एक भयानक असुर का निवास था। मानवों का गंध मिलने पर उसने पाण्डवों को पकड़ लाने के लिये अपनी बहन हिडिंबा को भेजा ताकि वह उन्हें अपना आहार बना कर अपनी क्षुधा पूर्ति कर सके। वहाँ पर पहुँचने पर हिडिंबा ने भीमसेन को पहरा देते हुये देखा और उनके सुन्दर मुखारविन्द तथा बलिष्ठ शरीर को देख कर उन पर आसक्त हो गई। उसने अपनी राक्षसी माया से एक अपूर्व लावण्मयी सुन्दरी का रूप बना लिया और भीमसेन के पास जा पहुँची। भीमसेन ने उससे पूछा, "हे सुन्दरी! तुम कौन हो और रात्रि में इस भयानक वन में अकेली क्यों घूम रही हो?" भीम के प्रश्न के उत्तर में हिडिम्बा ने कहा, "हे नरश्रेष्ठ! मैं हिडिम्बा नाम की राक्षसी हूँ। मेरे भाई ने मुझे आप लोगों को पकड़ कर लाने के लिये भेजा है किन्तु मेरा हृदय आप पर आसक्त हो गया है तथा मैं आपको अपने पति के रूप में प्राप्त करना चाहती हूँ। मेरा भाई हिडिम्ब बहुत दुष्ट और क्रूर है किन्तु मैं इतना सामर्थ्य रखती हूँ कि आपको उसके चंगुल से बचा कर सुरक्षित स्थान तक पहुँचा सकूँ।"
इधर अपनी बहन को लौट कर आने में विलम्ब होता देख कर हिडिम्ब उस स्थान में जा पहुँचा जहाँ पर हिडिम्बा भीमसेन से वार्तालाप कर रही थी। हिडिम्बा को भीमसेन के साथ प्रेमालाप करते देखकर वह क्रोधित हो उठा और हिडिम्बा को दण्ड देने के लिये उसकी ओर झपटा। यह देख कर भीम ने उसे रोकते हुये कहा, "रे दुष्ट राक्षस! तुझे स्त्री पर हाथ उठाते लज्जा नहीं आती? यदि तू इतना ही वीर और पराक्रमी है तो मुझसे युद्ध कर।" इतना कह कर भीमसेन ताल ठोंक कर उसके साथ मल्ल युद्ध करने लगे। कुंती तथा अन्य पाण्डव की भी नींद खुल गई। वहाँ पर भीम को एक राक्षस के साथ युद्ध करते तथा एक रूपवती कन्या को खड़ी देख कर कुन्ती ने पूछा, "पुत्री! तुम कौन हो?" हिडिम्बा ने सारी बातें उन्हें बता दी।
अर्जुन ने हिडिम्ब को मारने के लिये अपना धनुष उठा लिया किन्तु भीम ने उन्हें बाण छोड़ने से मना करते हुये कहा, "अनुज! तुम बाण मत छोडो़, यह मेरा शिकार है और मेरे ही हाथों मरेगा।" इतना कह कर भीम ने हिडिम्ब को दोनों हाथों से पकड़ कर उठा लिया और उसे हवा में अनेक बार घुमा कर इतनी तीव्रता के साथ भूमि पर पटका कि उसके प्राण-पखेरू उड़ गये।
हिडिम्ब के मरने पर वे लोग वहाँ से प्रस्थान की तैयारी करने लगे, इस पर हिडिम्बा ने कुन्ती के चरणों में गिर कर प्रार्थना करने लगी, "हे माता! मैंने आपके पुत्र भीम को अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया है। आप लोग मुझे कृपा करके स्वीकार कर लीजिये। यदि आप लोगों ने मझे स्वीकार नहीं किया तो मैं इसी क्षण अपने प्राणों का त्याग कर दूँगी।" हिडिम्बा के हृदय में भीम के प्रति प्रबल प्रेम की भावना देख कर युधिष्ठिर बोले, "हिडिम्बे! मैं तुम्हें अपने भाई को सौंपता हूँ किन्तु यह केवल दिन में तुम्हारे साथ रहा करेगा और रात्रि को हम लोगों के साथ रहा करेगा।" हिडिंबा इसके लिये तैयार हो गई और भीमसेन के साथ आनन्दपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगी। एक वर्ष व्यतीत होने पर हिडिम्बा का पुत्र उत्पन्न हुआ। उत्पन्न होते समय उसके सिर पर केश (उत्कच) न होने के कारण उसका नाम घटोत्कच रखा गया। वह अत्यन्त मायावी निकला और जन्म लेते ही बड़ा हो गया।
हिडिम्बा ने अपने पुत्र को पाण्डवों के पास ले जा कर कहा, "यह आपके भाई की सन्तान है अतः यह आप लोगों की सेवा में रहेगा।" इतना कह कर हिडिम्बा वहाँ से चली गई। घटोत्कच श्रद्धा से पाण्डवों तथा माता कुन्ती के चरणों में प्रणाम कर के बोला, "अब मुझे मेरे योग्य सेवा बतायें।? उसकी बात सुन कर कुन्ती बोली, "तू मेरे वंश का सबसे बड़ा पौत्र है। समय आने पर तुम्हारी सेवा अवश्य ली जायेगी।" इस पर घटोत्कच ने कहा, "आप लोग जब भी मुझे स्मरण करेंगे, मैं आप लोगों की सेवा में उपस्थित हो जाउँगा।" इतना कह कर घटोत्कच वर्तमान
ஆக ஒரு கற்பனை கதையை ரீமேக் பண்ணி மத விளையாட்டுகள் நடக்கின்றன.
ReplyDeleteதோழருக்கு புது வருட வாழ்ந்துக்கள்.
புத்தாண்டு வாழ்த்துக்கள் தோழர் ! என் கோரிக்கையை ஏற்று இதனை பதிவிட்டமைக்கு நன்றிகள் பல
ReplyDeleteநன்றி வேகநரி தோழர், புத்தாண்டு வாழ்த்துக்கள்
ReplyDeleteஇந்த செய்தியை அனுப்பியதற்கு நன்றி கோபி. புத்தாண்டு வாழ்த்துக்கள்
ReplyDeleteYeah bookmaking this wasn't a risky determination outstanding post!
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